भारत त्यौहारों की धरती है और आप छठ पूजा त्यौहार से जरूर वाकिफ होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि छठ पूजा क्यों मनाते है, छठ पूजा का इतिहास क्या है, Chhath Puja History in Hindi
छठ पूजा का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है यानि यह पर्व दीपावली के छ: दिन बाद होता है। इसमें छठी माता और भगवान सूर्य की पूजा अर्चना की जाती है।
छठ पूजा के इतिहास और इसकी परंपरा के बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं जो यह बताती है कि छठ पूजा क्यों मनाई जाती है और छठ पूजा मनाने की शुरुआत किसने की!!
इस लेख में हमने आपको छठ पूजा मनाने की शुरुआत और इससे जुड़ी कथाओं के बारे में विस्तृत रूप में बताया है।
छठ पूजा क्यों मनाई जाती है, History of Chhath Puja in Hindi

जैसा हमने ऊपर बताया कि छठ पूजा कैसे शुरू हुआ के बारे में कई ऐतिहासिक व पौराणिक कहानियां है। इन सभी कहानियों के बारे में एक-एक करके हमने नीचे बताया है।
छठ पूजा क्यों मनाया जाता है – 1
इस मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत भगवान राम के समय से हुई है।
कहा जाता है कि 14 वर्षों का वनवास काटने के बाद जब भगवान राम सीता के साथ अयोध्या पहुंचे तो राम राज्य की स्थापना करने तथा रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि मुनियों के आदेश पर राजसूर्य यज्ञ किया गया।
यज्ञ में भगवान राम तथा सीता ने सूर्य देव की पूजा अर्चना की और उपवास रखा। यह दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का था। उस दिन से हर साल छठ पूजा को मनाया जाता है।
कहीं पर यह भी उल्लेख मिलता है कि सीता ने मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर छह दिनों तक सूर्यदेव भगवान की पूजा की थी।
छठ पूजा का पर्व कैसे शुरू हुआ – 2
इस मान्यता के अनुसार छठ पूजा का आरंभ महाभारत काल से हुआ।
इसके अनुसार सूर्यपुत्र कर्ण सूर्य के परम भक्त थे। वह प्रतिदिन कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे और उपासना करते थे। कहा जाता है कि सूर्य देव की कृपा के कारण ही वो महान योद्धा बने।
अगर संक्षिप्त में कहा जाए तो सूर्य देव की पूजा की शुरुआत करने की थी और इस कारण छठ पूजा मनाया जाता है।
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छठ पूजा क्यों मनाते है – 3
यह मान्यता भी महाभारत से ही जुड़ी हुई है।
इसके अनुसार जब पांडव जिओ में अपना सब कुछ हार गए तो द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा और सूर्य देव की पूजा की। जिस कारण पांडवों को अपना खोया हुआ राजपाट वापस मिल गया।
छठ पूजा का त्यौहार कैसे शुरू हुआ – 4
छठ पूजा मनाने की यह मान्यता राजा प्रियवद के बारे में है और छठ क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे सबसे ज्यादा प्रचलित कहानी यही है।
इस पौराणिक कथा के अनुसार राजा प्रियवद नि:संतान थे यानि उनके कोई संतान नहीं थी। राजा हमेशा इस बात की चिंता में रहते थे।
राजा के पुत्र प्राप्ति के लिए महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया। यज्ञ में आहुति हेतु बनाई गई खीर राजा प्रियवद की पत्नी को दी गई। इसके पश्चात कुछ समय बाद राजा को पुत्र प्राप्ति हुई लेकिन वह मृत था।
इससे राजा को अत्यंत दुख हुआ। वो पुत्र के मृत शरीर को शमशान लेकर गए और पुत्र वियोग में अपना प्राण त्यागने लगे। उसी समय देवसेना (ब्रह्मा की मानस पुत्री) प्रकट हुई।
उसने राजा से कहा कि “मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूँ और इस कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं।” आप मेरी उपासना करो और दूसरे लोगों को भी इस बारे में प्रेरित करो। राजा प्रियवद ने संतान सुख हेतु देवी षष्ठी की व्रत रखा और पूजा की जिससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।
कहा जाता है कि जिस दिन राजा ने देवी षष्ठी व्रत रखकर उनकी पूजा की थी, वो दिन कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी का था। उस दिन से लोग देवी षष्ठी की पूजा अर्चना करने लगे और छठ पूजा का प्रारंभ हुआ।
छठ पूजा का पर्व 6 दिन तक चलता है। इसे विशेषकर उत्तर भारत में मनाया जाता है।
We Hope आपको छठ पूजा के बारे में पूरी जानकारी मिली होगी कि छठ पूजा का पर्व क्यों मनाया जाता है और छठ पूजा मनाने का कारण क्या है! अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है तो शेयर अवश्य करें।