अगर आप क्रिकेट के शौकीन है या क्रिकेट देखते हैं तो आपने कभी-न-कभी स्निकोमीटर का नाम जरूर सुना होगा। इस पोस्ट में हमने डिटेल से बताया है कि snickometer kya hai, Snickometer कैसे काम करता है?
Cricket के दिवाने क्रिकेट मैच तो देखते है लेकिन उन्हें क्रिकेट में उपयोग की जाने वाली technologies के बारे में ज्यादा ध्यान नहीं होता है। उन्हीं में से एक स्निकोमीटर है।
Snickometer क्या है – What is Snickometer in Hindi

Snickometer क्रिकेट में use होने वाली एक टेक्नोलॉजी है. इसका उपयोग ध्वनि व विडियो का विश्लेषण कर यह तय करने में किया जाता है कि गेंद बल्ले से लगी है या नहीं। स्निकोमीटर को Snicko भी कहा जाता है।
इसका invention एलन प्लासकेट द्वारा किया गया जो एक ब्रिटिश कम्प्यूटर साइंटिस्ट है।
Snickometer को सरल शब्दों में समझने की बात की जाये तो यह है कि मैदान पर दर्शकों के शोर की वजह से फील्ड अम्पायर के लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है बॉल का बैट के किसी हिस्से से सम्पर्क हुआ है कि नहीं।
स्निकोमीटर बॉल तथा बैट के मध्य साउंड वेव्स को रिकॉर्ड करता है जिससे फील्ड अम्पायर को थर्ड अंपायर से यह जानना आसान हो जाता है कि बॉल बैट से टच हुई या खिलाड़ी के कहीं ओर लगी।
इस प्रकार अंपायर को बल्लेबाज को आउट देने के डिसीजन को बिना किसी गलती के देने में मदद मिलती है जो निष्पक्ष क्रिकेट के लिए जरूरी है।
स्निकोमीटर कैसे काम करता है
Snickometer एक सिम्पल मेथड पर आधारित है। इसमें एक बेहद संवेदनशील माइक्रोफोन (microphone) होता है जो पिच पर दोनों स्टम्प में लगा होता है। ये माइक्रोफोन oscilloscope से कनेक्टेड होते है जो साउंड वेव्स को रिकॉर्ड करते है।
फिर oscilloscope में माइक्रोफोन द्वारा रिकॉर्डेड साउंड वेव्स को स्लो मोशन विडियो में चलाया जाता है और यह तय किया जाता है कि बॉल का बैट से सम्पर्क हुआ है कि नहीं।
स्निकोमीटर सिर्फ दो सतहों के बीच contact को दर्शाता है जैसे कि बैट और बॉल, पैड और बॉल या बैट और पैड के बीच में। इन्हें देखकर अम्पायर फाइनल डिसीजन लेता है।
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