रक्षाबंधन भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है लेकिन क्या आप जानते है कि रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है, रक्षा बंधन मनाने का क्या कारण है, रक्षाबंधन का इतिहास और रक्षाबंधन को कैसे मनाया जाता है? RAKSHABANDHAN HISTORY IN HINDI
रक्षाबंधन के नाम को सुनकर भाई – बहनों के चेहरे पर खुशी झलकने लगती है क्योंकि भाई-बहन के अटूट प्रेम का रिश्ता ही कुछ ऐसा है जिसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। इस लेख में हमने भाई बहन के इस पवित्र पर्व राखी यानि रक्षाबंधन की पूरी जानकारी हिंदी में बताई है।
रक्षाबंधन क्या है – What is Raksha Bandhan in Hindi
भारत त्योहारों की भूमि है जहां हर दिन कोई न कोई त्यौहार या विशेष अवसर जरूर होता है और लोग उसे पूरे मन से मनाते हैं। इन्हीं त्योहारों में से एक है रक्षाबंधन यानि राखी का त्यौहार।
यह एक विशेष हिंदू त्यौहार है लेकिन अन्य कई धर्मों में भी भाई बहन के प्रति प्रेम दर्शाने के लिए इसे मनाया जाता है।
इसे ना केवल भारत में बल्कि नेपाल जैसे कई अन्य देशों में भी भाई बहन के प्यार के प्रतीक के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। रक्षाबंधन को राखी, कजरी, राखड़ी इत्यादि कई और नामों से भी जाना जाता है।
इस दिन बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है। बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और रक्षा का वादा करते हैं. बहनें भाई की कलाई पर जो राखी बांधती है, उसे रक्षासूत्र या रक्षा का धागा भी कहा जाता है.
रक्षाबंधन का अर्थ
रक्षाबंधन ‘रक्षा‘ तथा ‘बंधन‘ दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है और संस्कृत भाषा के अनुसार इसका अर्थ होता है “रक्षा का बंधन या गाँठ ” यानि ऐसा बंधन जो रक्षा/सहायता प्रदान करे।
राखी को रक्षासूत्र या रक्षा का धागा इसलिए कहा जाता है कि बहनें भाई को राखी बांधकर अपनी रक्षा का वादा करवाती है और भाई उस फ़र्ज़ को निभाने की जिम्मेदारी लेते है।
रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है – Raksha Bandhan History in Hindi
यह तो लगभग सभी जानते हैं कि रक्षाबंधन क्या है लेकिन अधिकांश लोगों को यह जानकारी नहीं है कि रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है, रक्षाबंधन का इतिहास क्या है या रक्षाबंधन को मनाने के पीछे क्या कारण है!
भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित इस त्यौहार को मनाने की परंपरा को लेकर कई तरह की कथाएं और मिथक प्रचलित है।
यहां हम रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं को लेकर जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं का जिक्र कर रहे हैं हैं। यह कुछ ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियां/घटनाएँ जिन्हें भाई बहन के इस पवित्र पर्व रक्षाबंधन मनाये जाने का आधार माना जाता है। चलिए इनके बारे में यानि जानते है रक्षाबंधन की कहानी.
1. रानी कर्णावती और शासक हुमायूँ
यह एक ऐतिहासिक घटना है जिसका संबंध रक्षाबंधन के इतिहास से बताया जाता है।
16वीं शताब्दी के मध्य की शताब्दी के मध्य की इस घटना के अनुसार चित्तौड़गढ़ की रानी कर्णावती थी जो विधवा थी। उनके साम्राज्य पर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने आक्रमण कर दिया था।
जब अकेली रानी को लगने लगा कि बहादुर शाह से चित्तौड़ से चित्तौड़ को बचाया नहीं जा सकता है तो उन्होंने सम्राट हुमायूं को एक राखी भेजी और बहन होने के नाते युद्ध में सहायता मांगी।
हुमायूं ने रानी कर्णावती के इस आमंत्रण को स्वीकार किया और भाई का फर्ज निभाते हुए अपनी सेना भेजकर युद्ध में मदद की।
2. सिकंदर और राजा पुरू की कहानी
इस घटना के अनुसार जब यूनानी शासक सिकंदर विश्व को फतह करने के उद्देश्य से भारत पर हमला करता है तो उसका सामना भारतीय राजा पोरू (पोरस) से होता है।
राजा पोरू बहुत वीर और बलशाली राजा थे और उन्होंने सिकंदर को युद्ध में घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।
जब सिकंदर की पत्नी को रक्षाबंधन के बारे में पता चला तो उन्होंने सम्राट पूर्व के लिए राखी के रूप में रक्षा सूत्र भेजा और विनती की कि वो युद्ध में सिकंदर को जान से नहीं मारेंगे।
सम्राट पूर्व ने शत्रु की पत्नी द्वारा भेजी गई राखी का सम्मान किया और सिकंदर को ना मारने का वचन दिया।
3. देवी लक्ष्मी और राजा बलि की कहानी
राजा बली भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे। बली की असीम भक्ति के कारण प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने अपने स्थान वैकुण्ठ को छोड़कर बाली के राज्य को सुरक्षा देना शुरू कर दिया।
देवी लक्ष्मी इस बात से दुखी हो गई और उसने भगवान विष्णु को बाली के पास से वापस अपने स्थान वैकुण्ठ पर लाने के लिए एक ब्राह्मण महिला का रूप धारण किया और राजा बलि के पास रहने लगी।
एक दिन श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी ने राखी बांधी और उपहारस्वरूप उनसे कुछ मांगा। बलि ने इस बात को माना और उन्हें कुछ भी मांगने का अवसर दिया।
इस पर देवी लक्ष्मी ने अपने असली रूप में आकर बलि से भगवान विष्णु को वापस वैकुंठ लोक भेजने को कहा। अपने किए वादे के अनुसार राजा बलि ने भगवान विष्णु को वैकुंठ जाने दिया।
कहा जाता है कि उसी दिन से श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाया जाता है।
4. इंद्रदेव और भगवान विष्णु की कहानी
भविष्य पुराण के अनुसार देवताओं और राक्षसों के बीच हुए भयंकर युद्ध में भगवान इंद्र अपना राज्य अमरावती हार गए।
इस स्थिति को देखकर इंद्र की पत्नी सची भगवान विष्णु के पास मदद के लिए गई। विष्णु ने एक सूती धागे को दिया और सची से कहा कि इसे अपने पति इंद्र की कलाई पर बांध देना।
अंततः इंद्र ने इस धागे को बांधने के बाद राक्षसों को युद्ध में हराया और अपने राज्य को पुनः प्राप्त किया।
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5. कृष्ण और द्रौपदी की कहानी
जब भगवान कृष्ण ने दोस्त राजा शिशुपाल को मारा तो उन्हें अपने अंगूठे में चोट लगी थी। इसे देखकर द्रोपदी ने चोट की जगह अपने वस्त्र का टुकड़ा बांधा था।
उस दिन से कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन बना लिया और जरूरत पड़ने पर सहायता करने का वादा किया।
अनेक वर्षों बाद जब पांडव द्रोपदी को कौरवों से जुए में हार गए थे तो भगवान कृष्ण ने आकर द्रोपदी की रक्षा की और लाज बचाई थी।
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है
रक्षाबंधन भाई और बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है और जैसा कि आप जानते हैं इसे सावन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
रक्षाबंधन में राखी का सबसे अधिक महत्व होता है। आजकल बाजार में कई प्रकार की राखियां आती है जो विभिन्न प्रकार की जैसे रंगीन कलावे, रेशमी धागे या कई महंगी वस्तुओं की बनी होती है।
रक्षाबंधन के दिनों में बाजार में कई सारे उपहार बिकते हैं, लोग नए-नए कपड़े खरीदने हैं। बहनें भाइयों के लिए राखी खरीदती है तथा भाई बहनों के लिए उपहार खरीदते हैं।
रक्षा बंधन मनाने का तरीका
अलग-अलग जगहों पर रक्षाबंधन को थोड़ा अलग-अलग तरीकों से मनाने का प्रचलन है लेकिन एक बात सभी जगहों की रक्षाबंधन में कॉमन है और वो है भाई की कलाई पर राखी को बांधना।
बहनें सबसे पहले भाई के माथे पर तिलक लगाती है। इसके बाद हाथ की कलाई पर राखी बांधती है और भाई के प्रति अपने स्नेह को व्यक्त करती है। बहन भाई के सुख समृद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है।
राखी बांधने के बाद भाई अपनी बहनों को गले लगाता है और उनकी हर परिस्थिति में सहायता करने का वादा करता है। बहन भाई एक-दूसरे को उपहार देते हैं और परिवारजनों को मिठाइयां खिलाते हैं।
ध्यान रखने की बात है कि अगर भाई बहन से बड़ा है तो बहन चरण स्पर्श कर उसका आशीर्वाद लें और अगर बहन बड़ी हो तो भाई को बहन के चरण स्पर्श करने चाहिए।
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रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए जरूरी नहीं कि खून के रिश्ते से जुड़ा ही भाई हो। बहनें किसी अन्य धर्म या संप्रदाय के व्यक्ति को भी इस दिन राखी बांधकर भाई बनाती हैं। इसे ‘राखी भाई’ तथा कई जगह ‘धर्मेला’ कहा जाता है।
अगर संभव हो तो इस दिन देश की रक्षा में तैनात फौजी भाइयों तथा पुलिस को भी राखी अवश्य बांधें। इससे आपका देश के जवानों के प्रति प्रेम भी प्रकट होगा और आपको भी अच्छा लगेगा।
उम्मीद है यह आर्टिकल रक्षाबंधन क्या है, रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है, रक्षाबंधन कैसे मनायें और रक्षाबंधन का इतिहास पसंद आया होगा। आप रक्षा बंधन की इस जानकारी को सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें ताकि और भी लोग इस बारे में जान पाएं। हैप्पी रक्षाबंधन 2023
रक्षाबंधन से जुड़े कुछ सवाल
रक्षाबंधन का इतिहास क्या है?
रक्षाबंधन का इतिहास से जुड़ी विभिन्न पौराणिक कथाएं है जिनमें द्रोपदी-कृष्ण एवं सची-भगवान विष्णु की कहानी को रक्षाबंधन मनाने का कारण माना जाता है।
रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई?
रक्षा बंधन की शुरुआत के पीछे विभिन्न कहानियाँ है जिसमें से एक के अनुसार भगवान कृष्ण के युद्ध के दौरान अंगूठे में चोट लगने पर द्रोपदी ने एक कपड़े का टुकड़ा बांधा तो भगवान कृष्ण ने जरूरत पड़ने पर सहायता का वादा किया।
रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों और कब से मनाया जाता है?
रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते को celebrate करने के लिए मनाया जाता है और यह हजारों सालों से से मनाया जाता आ रहा है।
रक्षाबंधन के दिन भाई क्या संकल्प लेता है?
रक्षाबंधन के दिन भाई बहन के जीवन में कभी भी किसी प्रकार का संकट आने पर उसकी रक्षा एवं सहायता करने का संकल्प लेता है।
भाई को राखी कैसे बांधते हैं?
बहन सबसे पहले राखी की थाली सजाकर भाई के ललाट पर तिलक लगाती है। उसके बाद दाएं हाथ में राखी बांधती है, भाई की आरती उतारती है और मिठाई खिलाती है।
2023 में रक्षाबंधन कब है
इस साल रक्षाबंधन 30 अगस्त को है.
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है?
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त समय सुबह 08:11 से लेकर शाम 09:11 तक है। इस साल रक्षाबंधन में राखी बांधने का मुहूर्त काफी लम्बा है।
रक्षा बंधन का मतलब क्या होता है?
रक्षाबंधन ‘रक्षा‘ तथा ‘बंधन‘ दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है और संस्कृत भाषा के अनुसार इसका अर्थ होता है “रक्षा का बंधन या गाँठ” यानि ऐसा बंधन जो रक्षा या सहायता प्रदान करे।