भारतीय वैज्ञानिकों के नाम और उनके आविष्कार: भारत में ऐसे कई वैज्ञानिक हुए हैं जिन्होंने अपने काम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की है और अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी खोजों से महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस पोस्ट में हम इन्हीं भारत के वैज्ञानिक और उनकी खोज (आविष्कारों) के बारे में जानेंगे।
भारत ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विश्व के लिए अपने आविष्कारों से अहम योगदान प्रदान किया है। न केवल आधुनिक भारत बल्कि प्राचीन समय से ही विज्ञान के क्षेत्र में भारतीयों का योगदान रहा है।
आर्यभट्ट जैसे कई भारतीय गणितज्ञ व वैज्ञानिकों की हजारों वर्षों पहले की गई खोजें आज भी प्रासंगिक है और वैज्ञानिक प्रणालियों में उपयोग ली जाती है। आइये जानते है प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक और उनके आविष्कार (Inventions) के बारे में…
Contents
- 1 भारत के वैज्ञानिक और उनकी खोज
- 1.1 1. जगदीश चंद्र बसु (Jagdish Chandra Bose)
- 1.2 2. सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर (S. Chandrasekhar)
- 1.3 3. चंद्रशेखर वेकेंट रमन (CV Raman)
- 1.4 4. श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan)
- 1.5 5. होमी जहांगीर भाभा (Homi Jehangir Bhabha)
- 1.6 6. विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai)
- 1.7 7. हरगोविंद खुराना (Har Govind Khurana)
- 1.8 8. प्रफुल्लचन्द्र राय (Prafulla Chandra Ray)
- 1.9 9. सलीम अली (Salim Ali)
- 1.10 10. सत्येन्द्रनाथ बोस (Satyendra Nath Bose)
- 1.11 11. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या ( M. Visvesvaraya)
- 1.12 12. एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam)
भारत के वैज्ञानिक और उनकी खोज

1. जगदीश चंद्र बसु (Jagdish Chandra Bose)

जीवनकाल – 30 नवंबर 1858 ~ नवंबर 1937
जगदीश चंद्र बसु भारत के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक माने है। यह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे जिसके चलते इन्हें भौतिकी, वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान तथा पुरातत्व के बारे में गहरा ज्ञान था।
बसु रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर कार्य करने वाले पहले व्यक्ति थे। इसके अलावा इन्होंने विज्ञान की अन्य शाखाओं जैसे वनस्पति विज्ञान व BioPhysics में भी अनेक वैज्ञानिक खोजें की।
इन्होंने क्रेस्कोग्राफ नामक यंत्र का आविष्कार किया जो पौधों की वृद्धि को मापता है। इससे उन्होंने सिद्ध किया कि पशुओं और पौधों के ऊतकों में काफी समानता है और पौधे यानि वनस्पतियां भी दर्द को समझ और महसूस कर सकते हैं।
इन्होंने अपनी वैज्ञानिक खोजों का व्यावसायिक उपयोग करने की बजाय सार्वजनिक रूप से पब्लिश कर दिया ताकि अन्य वैज्ञानिक उनकी खोजों से जुड़ी जानकारियां जुटायें और इन पर शोध करें। यही उनकी महानता का प्रमाण है।
जगदीश चंद्र बोस को रेडियो विज्ञान का पिता माना जाता है क्योंकि उन्होंने सबसे पहले रेडियो संकेतों का पता लगाने के लिए अर्धचालकों (Semiconductors) का उपयोग कर वायरलेस कम्युनिकेशन को प्रदर्शित किया था।
इनके बारे में रोचक बात यह है कि वे विज्ञान कथाएं भी लिखते थे और उन्हें बंगाली विज्ञान कथा साहित्य का पिता माना जाता है।
2. सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर (S. Chandrasekhar)

जीवनकाल – 19 अक्टूबर 1910 – 21 अगस्त 1995
एस. चंद्रशेखर भारतीय मूल के अमेरिकी खगोल शास्त्री यानि खगोल वैज्ञानिक थे।
खगोल शास्त्र में चंद्रशेखर का नाम अग्रणी वैज्ञानिकों में आता है क्योंकि उन्होंने तारों तथा खगोल के क्षेत्र में कई खोजें की जो काफी महत्वपूर्ण है।
खगोलीय विज्ञान में श्वेत वामन तारों का द्रव्यमान चंद्रशेखर द्वारा निर्धारित सीमा में ही रहता है जिसे चंद्रशेखर सीमा या चंद्रशेखर लिमिट कहा जाता है। खगोल भौतिकी के क्षेत्र में चंद्रशेखर द्वारा की गई यह खोज ‘चंद्रशेखर लिमिट’ बहुत प्रसिद्ध है।
चंद्रशेखर द्वारा खगोल में तारों के अलावा ब्लैकहोल, रोटेटिंग प्लूइड मास तथा आकाश के नीलेपन पर किये गए शोध भी प्रसिद्ध है और उनके आधार पर ब्लैक हॉल व तारों के कई सैद्धांतिक मॉडल बनाए गए हैं।
चंद्रशेखर को खगोल भौतिकी में उनके कार्य के लिए 1983 में विलियम ए फाउलर के साथ संयुक्त रूप से भौतिकी का नोबेल पुरस्कार भी मिला।
3. चंद्रशेखर वेकेंट रमन (CV Raman)

जीवनकाल – 7 नवंबर 1888 – 21 नवंबर 1970
चंद्रशेखर वेंकट रमन को सीवी रमन के नाम से जाना जाता है। यह भारत के महान भौतिक विज्ञानी रहे जिन्होंने राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भौतिक विज्ञान में अपने काम तथा खोजों के दम पर कई अवार्ड पाये।
सीवी रमन ने भौतिकी में कई शोध पत्र प्रकाशित किए लेकिन उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति उनकी खोज ‘रमन इफेक्ट’ से प्राप्त हुई।
इस खोज के लिए सी वी रमन को 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। रमन नोबेल पुरस्कार पाने वाले एशिया के पहले व्यक्ति भी थे।
इसके अलावा सी वी रमन को संगीत वाद्य यंत्रों में काफी रूचि थी जिसके चलते उन्होंने तबला, हारमोनियम जैसे कई संगीत वाद्य यंत्रों में उत्पन्न होने वाली तरंगों पर भी शोध किया था।
रमन ने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद बेंगलुरु में रमन शोध संस्थान की स्थापना की और इस में कार्यरत रहे।
सीवी रमन ने 28 फरवरी 1928 को रमन इफेक्ट की खोज की थी। इसकी याद में हर साल भारत में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
4. श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan)

जीवनकाल – 22 दिसम्बर 1887 – 26 अप्रैल 1920
श्रीनिवास रामानुजन भारत के महान गणितज्ञ रहे और इन्हें आधुनिक गणित के महान विचारकों में से एक माना जाता है।
रामानुजन ने गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं लिया था लेकिन फिर भी वे बहुत बड़े हो महान गणितज्ञ बने जो उनकी कार्यशीलता व जिज्ञासा को दर्शाता है.
रामानुजन ने खुद से गणित सीखी और अपने जीवनकाल में गणित से जुड़ी कई खोजें की और नए सूत्र व प्रमेय प्रदान किये।
इन्होंने अपने जीवन में लगभग 3884 प्रमेय दिए। रामानुजन में बीजगणित प्रकलन की अद्वितीय प्रतिभा थी।
रामानुजन के द्वारा दिए गए गणित सूत्र आज बहुत सारे वैज्ञानिक कार्यों में काम आते हैं। हालांकि आज भी इनकी कई खोजों को गणित की मुख्यधारा में नहीं आजमाया गया है।
इनके बारे में कहा जाता है कि वे सूत्र को पहले लिख लेते थे तथा उसकी उपपत्ति बाद में करते थे। रामानुजन इसका कारण ईश्वरीय कृपा बताते थे। रामानुजन की आध्यात्मिकता में भी बेहतर रुचि थी।
5. होमी जहांगीर भाभा (Homi Jehangir Bhabha)

जीवनकाल – 30 अक्टूंंबर 1909 – 24 जनवरी 1966
होमी जहांगीर भाभा भारत के परमाणु क्षेत्र के प्रमुख वैज्ञानिक थे और इन्हें भारत का परमाणु ऊर्जा का पिता कहा जाता है क्योंकि इन्होंने ही भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्हें ‘आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम’ भी कहा जाता है।
होमी जहांगीर भाभा ने बहुत कम वैज्ञानिकों के साथ 1944 में नाभिकीय ऊर्जा पर अनुसंधान शुरू किया था। भाभा ने 1945 में ‘टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च’ की स्थापना की थी। इसके अलावा उन्होंने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की भी स्थापना की थी। उनके द्वारा स्थापित ये अनुसंधान केंद्र आज देश के लिए वैज्ञानिक क्षेत्र में बहुत काम आ रहे हैं।
भाभा को 1947 में भारत सरकार द्वारा परमाणु ऊर्जा आयोग का प्रथम अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था।
भाभा ने ‘कॉस्केट थ्योरी ऑफ इलेक्ट्रॉन’ तथा ‘कॉस्मिक किरणों’ पर भी अध्ययन किया था जो पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करती है.
6. विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai)
जीवनकाल – 12 अगस्त 1919 – 30 दिसम्बर 1971
विक्रम साराभाई का पूरा नाम विक्रम अंबालाल साराभाई है। विक्रम साराभाई इंडिया के उस प्रसिद्ध उद्योगपति साराभाई परिवार से थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी।
कोई भी व्यक्ति जो इसरो के बारे में जानता है उसने विक्रम साराभाई के बारे में अवश्य सुना होगा क्योंकि यही वो नाम है जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक के रूप में जाना जाता है।
साराभाई ने न केवल इसरो की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई बल्कि उन्होंने और भी कई महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना की थी। उन संस्थानों में भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद (IIMA), नेहरू फाउंडेशन, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, परमाणु ऊर्जा आयोग प्रमुख है।
इसके अलावा इन्होंने विक्रम ए. साराभाई कम्युनिटी विज्ञान केंद्र (VASCSC) की स्थापना 1960 में की थी जो विज्ञान तथा गणितीय शिक्षा के प्रसार करने के प्रति कार्यरत है।
विक्रम साराभाई के राष्ट्र हित के लिए विज्ञान क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदानों के कारण उन्हें 1966 में पद्मभूषण तथा 1972 में पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया।
7. हरगोविंद खुराना (Har Govind Khurana)

जीवनकाल – 9 जनवरी 1922 – 9 नवम्बर 2011
डॉ. हरगोविंद खुराना भारतीय मूल के एक बायोकेमिस्ट (जीव रसायनज्ञ) थे जिन्होंने बाद में अमेरिका की नागरिकता ले ली थी।
डॉ खुराना को 1968 में मार्शल डब्लू नीरेनबर्ग तथा रॉबर्ट डब्लू होली के साथ अपने अनुसंधान के लिए संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार मिला था। इन तीनों वैज्ञानिकों ने डीएनए अणु संरचना को स्पष्ट किया था तथा डीएनए द्वारा संपन्न की जाने वाली जटिल प्रक्रिया प्रोटीन संश्लेषण को समझाया था।
डॉ हरगोविंद खुराना ने कृत्रिम जीन्स उन्नति विज्ञान की नींव रखी थी। खुराना ने अपने अध्ययन से यह बात साबित की थी कि किसी व्यक्ति के जीन की संरचना से ही यह निश्चित होता है कि उसका रंग रूप, कद काठी और गुण कैसे होंगे!
उन्हीं के इस रिसर्च वर्क तथा वैज्ञानिकों द्वारा आगे किए गए अनुसंधानों से आज कई नि:संतान दंपतियों को संतान-सुख भोगने का मौका मिल रहा है।
8. प्रफुल्लचन्द्र राय (Prafulla Chandra Ray)

जीवनकाल – 2 अगस्त 1861 – 16 जून 1944
प्रफुल्ल चंद्र राय रसायन विज्ञान के महान वैज्ञानिक और शिक्षक थे।
‘सादा जीवन उच्च विचार’ के धनी प्रफुल्ल चंद्र राय भारत में आधुनिक रसायन विज्ञान के प्रथम प्रोफेसर थे। इन्होंने ही देश में रसायन उद्योग की नींव डाली थी।
पारद (मर्करी) नाइट्राइट नामक यौगिक को विश्वभर में डॉ. राय ने पहली बार सन् 1896 में बनाया था। उनके द्वारा बनाए गए इस कंपाउंंड से उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त हुई।
इसके बाद डॉक्टर राय ने इसी कंपाउंड से लगभग 80 नए यौगिक बनाये और रसायन विज्ञान की कई जटिलताओं को हल किया। इन्होंने एमाइन नाइट्राइटों को विशुद्ध रूप से भी तैयार किया था।
डॉ. राय को नाइट्राइटों में गहन शोध तथा खोजों के चलते ‘नाइट्राइट्स का मास्टर’ भी कहा जाता है।
9. सलीम अली (Salim Ali)

जीवनकाल – 12 नवम्बर 1896 – 27 जुलाई 1987
सलीम अली पक्षिओं के बहुत बड़े साइंटिस्ट थे जिसके चलते उन्हें ‘Birdman Of India’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें हम पक्षी विज्ञानी या प्रकृतिवादी इंसान भी कह सकते हैं।
सलीम अली भारत में पक्षियों के लिए व्यवस्थित सर्वेक्षण करने वाले पहले भारतीयों में से एक थे।
भरतपुर पक्षी अभयारण्य बनाने में सलीम अली की अहम भूमिका रही थी।
सलीम अली को पक्षियों के लिए किए गए अभूतपूर्व योगदान के कारण 1958 में पद्म भूषण तथा 1976 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
10. सत्येन्द्रनाथ बोस (Satyendra Nath Bose)

जीवनकाल ~ 1 जनवरी 1894 – 4 फरवरी 1974
सत्येन्द्रनाथ बोस शुरू से ही मेधावी छात्र थे, विशेषकर गणित में। यह अपने दोस्तों में सत्येन तथा विज्ञान जगत में एस.एन. बोस के नाम से जाने जाते थे।
बोस ने स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद प्रेसीडेंसी कॉलेज में एडमिशन लिया जहां उनकी पढ़ाई जगदीश चंद्र बोस तथा आचार्य प्रफुलचंद्र जैसे महान शिक्षकों के मार्गदर्शन में हुई।
पढ़ाई पूरी करने के बाद बोस और इनके सहपाठी साहा दोनों कलकत्ता विश्वविद्यालय में पढ़ाने लगे। अध्यापन के साथ इन्होंने अपने शोधकार्य को भी जारी रखा। बोस ने अपने शोधकार्य से कई शोधपत्र प्रकाशित कराये। उन्हें अपने काम के लिए महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन से भी प्रशंसा पत्र मिले।
बोस को प्रसिद्धि उस समय मिली जब उन्होंने ‘बोसॉन (Boson)‘ का concept दिया जो कणों (particles) के बारे में था।
जब क्वांटम भौतिकी में बोस का काम अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा आगे विकसित किया गया था तो इसे बोस-आइंस्टीन सिद्धांत के नाम से जाना गया।
11. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या ( M. Visvesvaraya)

एम. विश्वेश्वरय्या भारतीय इंजीनियर, विद्वान और एक कुशल राजनेता थे जिन्हें 1955 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया था। यह 1912 से 1918 के दौरान मैसूर के दीवान थे।
इन्होंने अपने दो आविष्कारों से प्रसिद्धि पाई और वे थे – Automatic Sluice Gates और Block Irrigation System.
किंग जॉर्ज V ने जनता की भलाई के लिए उनके द्वारा किये गये योगदान के लिए उन्हें ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के नाइट कमांडर (KCIE) की उपाधि दी थी।
इनके सम्मान में भारत में हर वर्ष 15 सितंबर को अभियंता दिवस मनाया जाता है।
12. एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam)

जीवनकाल – 15 अक्टूबर 1931 – 27 जुलाई 2015
आज की जनरेशन में इस नाम से शायद ही कोई अपरिचित है क्योंकि सफलता की बात आती है तो अब्दुल कलाम वो नाम है जिनके बारे में लोग जरूर चर्चा करते है।
अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम था और उन्हें मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है। कलाम ने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्यापन किया था।
कलाम ने 1970 में भारत द्वारा पहले परमाणु परीक्षण तथा 1998 में भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इस काम को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
कलाम ने अपने करियर की शुरुआत इंडियन आर्मी के लिए मिनी हेलीकॉप्टर डिजाइन द्वारा की थी। इसके बाद इन्होंने भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में संपन्न बनाया तथा बैलेस्टिक मिसाइल को बनाया जो रक्षा क्षेत्र में बेहद उपयोगी है।
इन्हें भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह एसएलवी तृतीय को बनाने का श्रेय हासिल है। इन्होंने 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। इनके इन्हीं कार्यों की वजह से भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बना।
इन्होंने अग्नि तथा पृथ्वी जैसी मिसाइलों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था जो भारत के लिए उस समय बहुत बड़ी बात थी।
एक साधारण व्यक्तिव वाले असाधारण व्यक्ति एपीजे अब्दुल कलाम आज भी युवा पीढ़ी के लिए एक मार्गदर्शक है और दुनियाभर के करोड़ों लोगों की आगे बढ़ने की inspiration है।
We Hope आपको यह पोस्ट Inventions of Indian Scientists in Hindi पसंद आयी होगी। इसमें आपने भारतीय वैज्ञानिक और उनकी खोज के बारे में जाना।