भारत को त्योहारों की धरती कहा जाता है। इन त्यौहारों में होली का एक प्रमुख स्थान है लेकिन क्या आप जानते है कि होली का त्यौहार कैसे मनाते हैं और क्यों मनाया जाता है.
भारत देश विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक देश है। यहां हर दिन कोई न कोई त्यौहार अवश्य होता है। दीपावली, होली, दशहरा जैसे कुछ प्रमुख त्यौहार है जो पूरे भारत में मनाए जाते हैं। हिंदू धर्म में होली के त्यौहार का एक प्रमुख स्थान है।
आइए बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक त्यौहार होली कैसे मनाई जाती है और क्यों? के बारे में जानते हैं।
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होली क्यों मनाई जाती है
होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, इस बारे में कई पौराणिक कहानियां प्रचलित है। इनमें से सबसे सही और सटीक कहानी राजा हिरण कश्यप व पहलाद की मानी जाती है।
प्राचीन काल में हिरण कश्यप नाम का एक राजा हुआ करता था। वो राजा बड़ा ही शक्तिशाली और बलवान था। उसने भगवान की भक्ति करके भगवान से वरदान प्राप्त कर खुद को इतना अहंकारी बना लिया था कि वह खुद को ही भगवान समझने लगता था।
उसने अपने राज्य में घोषणा की कि लोग उसके सिवा किसी भगवान की भक्ति नहीं करेंगे क्योंकि वह स्वयं भगवान है।
दुष्ट राजा हिरण कश्यप का एक पुत्र था जिसका नाम प्रहलाद था। वह भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था।
हिरण कश्यप ने अपने पुत्र को भगवान की भक्ति ना करने के लिए हजारों बार मना किया लेकिन उसके पुत्र ने अपने पिता की एक भी बात नहीं सुनी. फिर आवेश में आकर राजा हिरणकश्यप ने अपने पुत्र को मारने का निर्णय लिया।
उसने सबसे पहले अपने पुत्र को हाथी के पैरों तले रौंदने के लिए रख दिया लेकिन राजा के कई कोशिशें करने के बावजूद भी हाथी ने प्रहलाद पर पैर नहीं रखा। इसके बाद राजा ने प्रहलाद को गर्म लोहे के सरियों पर डाल दिया लेकिन फिर भी पहलाद को कुछ नहीं हुआ। इस प्रकार राजा ने अपने पुत्र को कई प्रकार की पीड़ा यातना देकर मारने की कोशिश की लेकिन भगवान के आशीर्वाद से वह हर बार बच गया।
आखिर में राजा ने पहलाद को अपनी बहन होलिका की गोद में रखकर चलाने का निर्णय लिया क्योंकि उसकी बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में जल नहीं सकती। लेकिन दुष्ट राजा की यह योजना काम नहीं आई क्योंकि पहलाद विष्णु का नाम लेकर मच गया जबकि उसकी बहन होलिका आग में जलकर राख हो गई।
इसके बाद भगवान विष्णु ने प्रकट होकर दुष्ट राजा हिरण्यकश्यप का वध कर दिया।
कहा जाता है कि उसी दिन से होली मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई जो आज तक चली आ रही है। होली के द्वारा बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश मिलता है क्योंकि राजा हिरण कश्यप एक दोस्त व बुरा व्यक्ति था लेकिन उसका पुत्र भगवान की भक्ति करने वाला सच्चा था और आखिर में सच्चाई की जीत हुई थी।
होली कैसे मनाते हैं – How to Celebrate Holi in Hindi
भारत के हर राज्य में होली को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। साथ ही हर गांव और कस्बे में होली को सेलिब्रेट करने का तरीका अलग होता है।
होली को रंगों का त्योहार कहते हैं तो रंग हर होली का हिस्सा होते हैं। होली को फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। let,s know होली कैसे मनाएं…
पूर्णिमा से लगभग 10 दिन पहले यानी शुक्ल पक्ष की शुरुआत होने पर गांवों में लोग शाम को इकट्ठा होकर खेल खेलना शुरू करते हैं। हर गांव में यह खेल अलग-अलग होते हैं जैसे कहीं पर कबड्डी खेली जाती है तो कहीं पर खोखो, चेणी कुटका इत्यादि खेल।
इसके बाद पूर्णिमा की शाम को गांव में लोग इकट्ठे होकर सूखी घास फूस की मदद से एक किले जैसा बनाते हैं और उसमें दो बड़ी लकड़िया रखते हैं। यह दोनों लकड़िया पहलाद और होली का को प्रस्तुत करती है।
फिर घी और रूई की सहायता से आग को जलाया जाता है और इस आग को होली में लगाते हैं। इसके बाद गांव का कोई व्यक्ति होली में कूदता है और एक लकड़ी (प्रहलाद) को निकाल लेता है और दूसरी लकड़ी यानी होलिका जलकर खाक हो जाती है। इसके बाद पूरी रात लोग फाल्गुन के लोकगीत गाते हैं और तरह तरह के खेल वगैरह खेलते हैं।
फिर सुबह तैयार होकर अच्छे-अच्छे पकवान बनाते हैं और एक दूसरे के घर जाकर लोगों से मिलते हैं और हताई करते हैं।
इसी दौरान होली को रंगों से खेला जाता है कई बच्चे विच कार्यों में तरह-तरह के रंग भर कर एक-दूसरे पर डालते हैं और खुशियों से नाचते झूमते हुए होली खेलते हैं। इसके अलावा गुलाल का भी होली खेलने में प्रयोग होता है।
साथ ही कई जगह पर खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है और जो टीम जीतती है, उसे इनाम प्रदान किए जाते हैं।
इसके अलावा छोटे-छोटे गांव में कई अलग तरह की होलिया में खेली जाती है जो सिर्फ उस क्षेत्र तक सीमित होती है।
राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में लोग एक टोली बनाकर घरों में फिरते हैं जिसे ‘गेरिया‘ कहते हैं। यह गाड़ियों की टोली ढोल या तली बजा कर घर-घर फिरते हैं और बड़े उत्साह के साथ होली के त्योहार को मनाते हैं।
होली के दूसरे दिन को धुलंडी कहा जाता है। इसी दिन ही लोग रंग गुलाल से लोग होली खेलते है।
Note: अगर आपके क्षेत्र में होली मनाने की कोई अलग परंपरा है तो हमें कमेंट के माध्यम से बताएं, उसे हम इस article में आपके नाम के साथ जोड़ेंगे।
होली 2022 कब है और शुभ मुहूर्त
होलिका दहन तारीख | 19 मार्च, शनिवार |
होलिका दहन मुहूर्त | रात 9 बजकर 20 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 31 मिनट तक |
होली की तारीख | 19 March 2022 |
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत | — |
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति | — |
होली भारत का बड़ा ही धार्मिक और पारंपरिक त्यौहार है जिसे कई हजारों सालों से मनाया जाता रहा है और आगे भी यही परंपरा जारी रहेगी.
आजकल होली के दौरान कृत्रिम चीजों का प्रयोग बढ़ने लगा है तो हम सभी पाठक गणों से अपील करेंगे कि आप होली को जितना हो सके, उतना प्राकृतिक तरीके से खेलें और मजे करें.
होली के दौरान बाजारों में कई प्रकार के कृत्रिम रंग उपलब्ध होते हैं तो हम आपसे गुजारिश करते हैं कि आप उन रंगों की बजाय घर पर गुलाब, गेंदे आदि के फूलों से खुद रंग बनाएं और इन प्राकृतिक रंगों से होली का त्यौहार खेलें। कृत्रिम रंगों से खेलने से बचें क्योंकि इसमें कई प्रकार के हानिकारक केमिकल्स होते हैं जो हमारी तथा दूसरों की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
इसके अलावा आप होली के दौरान बाजारों मिठाइयों को खरीदने से बचें क्योंकि इस दौरान बाजार में कई प्रकार की हानि कारक तेलों से बनी हुई मिठाइयां होती है जो कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों का कारण बन सकती है। हम आपको सलाह देते हैं कि जितना हो सके उतना फेस्टिवल सीजन के दौरान बाजारू चीजों के इस्तेमाल से बचें और खुद से खाने की चीजें बनाकर खाएं।
इंटरनेट का जमाना है तो आजकल लोग होली की शुभकामनाएं देने के लिए एक दूसरे को डाक भेजना या घर जाकर बधाइयां देना कम पसंद करते हैं। ऐसे में आप सोशल मीडिया साइट्स जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम के जरिए अपने परिवार, दोस्तों और मित्रों को होली की बधाइयां देने के लिए हमारे द्वारा लिखी गई कुछ इन पोस्ट को देख सकते हैं जिनमें आपके लिए शानदार होली शायरी, विशेज, मैसेज है।
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उम्मीद है आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख “होली कैसे मनाई जाती है और होली को क्यों मनाया जाता है” पसंद आया होगा। हमारी तरफ से आप सभी पाठकों को होली 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं। और हां, आपके क्षेत्र में होली को कैसे सेलिब्रेट किया जाता है, इस बारे में कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।